प्रस्तावनादेवभूमि उत्तराखंड देवताओं की भूमि के रूप में विख्यात है. देवभूमि से जुड़ी कई सत्यकथाएं आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णअक्षरों में दर्ज हैं. हमारे मेले-कौथिग गवाह हैं कि पूर्वजों द्वारा स्थापित परंपराओं को प्रत्येक पीढिय़ों ने उत्साहपूर्वक मनाया. साथ ही ऐसी भी कई प्रचलित सत्यकथाएं रहीं, जो कागज के टुकड़ों में लिपिबद्ध नहीं होने के कारण या तो दंतकथाएं बन कर रह गईं या फिर बुजुर्गों की चिताओं में जल कर ही राख हो गईं. स्थापित परंपराओं को हम भले निभाते जा रहे हैं, किंतुउन प्रसंगों के अलिखित होने के कारण अपने मेले-उत्सवों के महत्व को और गहराई से नहीं जान सके. पूर्वर्जों द्वारा स्थापित मेले पीढ़ी-दर-पीढ़ी लगेंगे, लेकिन इसके साथ ही एक ऐसा इतिहास भी विस्मृत होता जाएगा, जिसे हम सहेज कर नहीं रख सके. आज जबकि हमारे पास संसाधनों का अभाव नहीं है, ऐसे में यह हमारा नैतिक कर्तव्य बन जाता है कि इस दिशा में हम मिलकर ऐसा प्रयास करें, जिससे जगदी से जुड़े विभिन्न प्रसंगों से आने वाली पीढ़ी रू-ब-रू हो सके. हिंदाव की जगदी पर आधारित ''मां जगदीÓÓ नामक यह लिखितआयोजन ऐसा ही एक प्रयास है, जिसकी संकल्पना को बुद्धिजीवियों ने अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया और हम इस आयोजन को 'मां जगदीÓ को समर्पित करने में सफल हुए हैं. प्रसार-प्रचार के इस दौर में हिंदाव की जगदी का परिचय भी लिखित रूप में लोगों तक पहुंचे, यह हमारा उद्देश्य है. पुस्तक में विभिन्न लेखों के माध्यम से जगदी की उत्पत्ति से लेकर अन्य विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है. पुस्तक के माध्यम से जहां नई पीढ़ी को अपनी आराध्य देवी जगदी की लिखित जानकारी उपलब्ध होगी, वहीं पास-पड़ोस की पट्टिïयों के अलावा जगदी का परिचय राज्य में विस्तार करेगा. निश्चित तौर पर इस प्रयास की सफलता सुधीपाठकों की राय पर निर्भर करेगी.बहरहाल, यह नौज्यूला हिंदाव की जगदी के इतिहास को लिखित रूप में संजोने की शुरुआती कोशिश मात्र है. यह भी संभव है कि जगदी से जुड़े और भी कई प्रसंग हमारे बुजुर्गों, बुद्धिजीवियों की यादों के स्मरण पटल पर हों और हम उन तक नहीं पहुंच पाए हों. हमने इस आयोजन में अधिकाधिक लोगों को शामिल करने की कोशिश की और यह पहल आगे भी जारी रहेगी. मेरा आग्रह है कि क्षेत्र के बुद्धिजीवी, बुजुर्ग जगदी से जुड़े अपने संस्मरण, फोटो सामग्री एवं इस ''मां जगदीÓÓ नामक लिखित आयोजन पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य भेजें, ताकि आने वाले समय में इस लिखित पहल को और भी पठनीय और समग्र आकार दिया जा सके. जगदी के संबंध में लिखित जानकारी पाठकों तक पहुंचाने हम प्रतिबद्ध हैं और प्रतिबद्धता की कसौटी पर खरा उतरना क्षेत्रवासियों के सहयोग के बिना संभव नहीं है.
Wednesday, July 7, 2010
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