होम १२ वर्षों के अंतराल पर आयोजित किया जाता है. जगदी का महायज्ञ 'होमÓनौज्यूला का सबसे बड़ा प्रमुख यज्ञ है, जिसमें नौज्यूला के सभी थोकों के मान्यवर रोज यज्ञ में कई ब्राह्मïणों के मंत्रोचार के साथ आहूतियां देते हैं. होम के लिए पंचों की विशेष बैठकें होती हैं, जिसमें प्रत्येक परिवारों पर फांट (चंदा) निर्धारित कर कमेटी चंदा जमा करने की सुनिश्चिता तय करती है. महायज्ञ की पंचांगसम्मत शुभ मुहूर्त के मद्देनजर तिथि निर्धारित होती है. नारायण में फिर सारी तैयारियों के बाद होम शुरू होता है. जिस वर्ष होम होता है उस वर्ष जगदी शिलासौड़ से सीधे क्षेत्र भ्रमण पर निकल पड़ती है और प्रत्येक घरों में जाकर प्रजा की सुध लेती है. लोग अपने आंगन में जगदी का जर्बदस्त स्वागत करते हैं. देवी-बाकियों को पूजा-पिठाईं भेंटकर परिवार के सुख-चैन की कामना करते हैं. दिन भर गांव में प्रत्येक घरों की शुध लेने के बाद एक रात देवी उसी गांव में निवास करती हैं और गांव में सार्वजनिक प्रसाद भंडारे का आयोजन गांववासियों द्वारा किया जाता है. कई गांवों में चढ़ावे स्वरूप बकरे भी जगदी को भेंट किए जाते हैं. एक गांव का भ्रमण पूर्ण होने पर जगदी अगले पड़ाव की ओर रुख करती है और फिर इसी प्रकार सभी घरों एवं स्थानीय देवी-देवताओं के मंदिरों में भेंट देती हैं. जिस गांव में जगदी दस्तक देती है उस गांव के लोग गाजे-बाजे के साथ जगदी का स्वागत करते हुए गांव की सीमा तक जगदी के साथ-साथ चलते हैं. साथ ही कमेटी के सदस्य एवं प्रमुख बाकी दिनजात से ही जगदी के साथ मौजूद रहते हैं. इसी प्रकार पूरी प्रजा दर्शन के बाद जगदी यज्ञस्थल नारायण में पूजा के लिए विराजमान होती है. ९ दिनों तक चलने वाले होम में प्रत्येक दिन के कार्यक्रम निर्धारित होते हैं और व्यवस्थित क्रम में ९ दिनों तक जारी रहते हैं.
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