हमारी हिंदू संस्कृति में कलश अथार्त कुंभ का बड़ा महत्व है. हिंदृ रीति-रिवाजों जैसे शादी-विवाह, पूजा-पाठ सहित सभी आवश्यक क्रियाओं में जलकुंभ कहीं न कहीं प्रमुख रूप से शामिल किए जाते हैं. उतराखंड में पांडव लीला एवं सार्वजनिक पूजाओं में कार्यक्रम संपन्न होने से पूर्व या अंतिम दिन प्रात:काल में जलघड़ी का विशेष आयोजन किया जाता है. नारायण मंदिर में होम के अंतिम दिन जलघड़ी की शोभायात्रा होम का विशेष आकर्षण है. हजारों दर्शकों से खच्चाखच भरे सीढ़ीनुमा खेतों के बीच मां जगदम्बा की डोली की अगुवाई में जलघड़ी की शोभायात्रा अति दर्शनीय होती है. जगदी की शोभायात्रा दर्जनों ढोल-नगाढ़ों के बीच नारायण मंदिर से कलश भरने के लिए स्थानीय जलस्रोत के लिए निकलती है. यहां जलस्रोत से मंत्रोच्चार के साथ जगदी स्नान कर अन्य लोग भी इस पवित्र जल की बूंदों से अपने को पवित्र कर धन्य समझते हैं. स्नान आदि के बाद जलघड़ी को भरकर जगदी का बाकी इसे सिर पर धारण कर मंदिर की ओर लौटते हैं. सैकड़ों लोगों द्वारा पंक्तिबद्ध होकर ऊपर से श्वेत एवं रंगीन वस्त्रों से ढंकी जलघड़ी की शोभायात्रा इस दौरान अति मनोहारी छटा विखेरती है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
फिर उत्तराखंड की उपेक्षा
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में भी उत्तराखंड को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. जिससे पहाड़ की जनता निराश है. केंद्र सरकार में उत...

-
उत्तराखंड युग-युगांतर से भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थली, तपस्थली और शांति प्रदाता रही है। हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाएं, कल कल करती नदिया...
-
बुजुर्ग जनों से जब जगदी के विषय में हमने बातें शुरू कीं तो जगदी से जुड़े विभिन्न प्रसंग सामने आए. बताते हैं कि एक समय किन्हीं अपरिहार्य कारण...
-
उत्तराखंड राज्य निर्माण के १४ वर्ष पूरे हो गए हैं. सबसे पहले उत्तराखंड के शहीदों को शत-शत नमन. जब हम बात उत्तराखंड की करें तो अलग ...
No comments:
Post a Comment