Tuesday, June 29, 2010

होम का प्रमुख आकर्षण जल घड़ी

हमारी हिंदू संस्कृति में कलश अथार्त कुंभ का बड़ा महत्व है. हिंदृ रीति-रिवाजों जैसे शादी-विवाह, पूजा-पाठ सहित सभी आवश्यक क्रियाओं में जलकुंभ कहीं न कहीं प्रमुख रूप से शामिल किए जाते हैं. उतराखंड में पांडव लीला एवं सार्वजनिक पूजाओं में कार्यक्रम संपन्न होने से पूर्व या अंतिम दिन प्रात:काल में जलघड़ी का विशेष आयोजन किया जाता है. नारायण मंदिर में होम के अंतिम दिन जलघड़ी की शोभायात्रा होम का विशेष आकर्षण है. हजारों दर्शकों से खच्चाखच भरे सीढ़ीनुमा खेतों के बीच मां जगदम्बा की डोली की अगुवाई में जलघड़ी की शोभायात्रा अति दर्शनीय होती है. जगदी की शोभायात्रा दर्जनों ढोल-नगाढ़ों के बीच नारायण मंदिर से कलश भरने के लिए स्थानीय जलस्रोत के लिए निकलती है. यहां जलस्रोत से मंत्रोच्चार के साथ जगदी स्नान कर अन्य लोग भी इस पवित्र जल की बूंदों से अपने को पवित्र कर धन्य समझते हैं. स्नान आदि के बाद जलघड़ी को भरकर जगदी का बाकी इसे सिर पर धारण कर मंदिर की ओर लौटते हैं. सैकड़ों लोगों द्वारा पंक्तिबद्ध होकर ऊपर से श्वेत एवं रंगीन वस्त्रों से ढंकी जलघड़ी की शोभायात्रा इस दौरान अति मनोहारी छटा विखेरती है.

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