...हर १२ वर्ष के अंतराल पर एक बार जगदी का होम (यज्ञ) होता है. इस होम में जैसा-जैसा समय बदला कई व्यवस्थाएं भी बदलीं. आज यद्यपि जगदी की सक्षम कमेटी समयानुकूल निर्णय लेती है, किंतु कहते हैं एक दौर ऐसा भी था जब यहां के कुछ खास लोगों को राजा द्वारा विशेष अधिकार दिये गये थे. यहां इस संबंध में एक ७५ वर्षीय वृद्ध बुद्धिजीवी बताते हैं कि जब नारायण में होम होता था तो चांजी के 'रौतोंÓ का उस दौर में काफी बोलबाला था. होम के दौरान यह लोग जब नारायण में आते थे तो इनकी रानियों के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था की जाती थी. आज की बात करें तो जैसे कही प्रसिद्ध मंदिरों में अतिविशिष्ट लोगों के लिए दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था होती है, वैसे ही उस दौर में चांजी के 'रौतोंÓ (रावत) के लिए विशेष दर्शन व्यवस्था थी. लेकिन कहते हैं इस प्रथा का विद्रोह हुआ. यहां इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठीं. कहते हैं चांजी के रौतों को दिए जाने वाले विशेष तव्वजो के खिलाफ भौंणा के श्री पंचम सिंह रावत जी ने पहली आवाज उठाई और जगदी के होम में समानता की व्यवस्था लागू करवाई.
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फिर उत्तराखंड की उपेक्षा
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