श्री शंकरसिंह रावतलैणी,
पंगरियाणा, हिंदाव।
माननीय पाठकों,
नौज्यूला हिंदाव की परमशक्तिमान, दुखों का निवारण करने वाली, हर घर-हर दिल में वास करने वाली, हम सबकी आस्था की प्रतीक जगतवंदनी देवी को मेरा शत्ï शत्ï नमन.इससे पूर्व हालांकि मुझे कई विषयों पर लेख लिखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, लेकिन मां जगतवंदनी जगदी के विषय में लिखने में जो अपनत्व का भाव महसूस हो रहा है वह बहुत ही सुखदायी है. वर्षों पूर्व जब में बहुत छोटा था और स्कूल पढ़ता था तब की यादों की तरफ में थोड़ा जाना चाहूंगा. साल के वो दो दिन ''दिन जात एवं जगदी जातÓÓ पूरे साल भर का इंतजार इन दो दिनों के लिए. मां जगदम्बा की इस पारंपरिक जात की शुरुआत में बाकी द्वारा बजाए जाने वाले शंखनाद से शुरू हुआ हृदय लुभावन, आस्था भरा आनंद, रिश्तेदारों का आगमन, घर के बुजुर्गों द्वारा दिया जाने वाला जात का खर्च, दोनों दिनों मां जगदी की डोली का रंगारंग रूप, उत्तेजित करने वाले मां के भक्तों द्वारा बजाए जाने वाले ताल, बाकियों द्वारा दिया जाने वाला आशीर्वाद, रातभर शिलासौड़ में दिवारे बैठने का सौभाग्य, बाकियों द्वारा पारंपरिक नृत्य आदि कुछ ऐसे दृश्य स्मृति पटल पर नजर आते हैं जो आज भी मन को भाव-विभोर करते हैं. लेकिन जिन भाग्यशालियों को आज भी जगतवंदनी मां के इस दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव (जात) में भाग लेने का सौभाग्य प्राप्त है वे मां का आशीर्वाद पाकर धन्य हैं.जैसा कि हम सभी को ज्ञात है कि उत्तराखंड की देवभूमि पर आज भी परमेश्वर हमारे देवी-देवताओं के रूप में मौजूद हैं. परदेश में लोग कहानियां सुनाते हैं कि हमारे यहां पुराने जमाने में ऐसी देवीय शक्तियां हुआ करती थीं, लेकिन हिंदाववासियों को तो यह वास्तविकता आज भी दृष्टिगोचर होती है. मां की महिमा का असर हर उस प्रार्थना में है जो हम सच्चे दिल से मां के चरणों में अपर्ण करते हैं. हम बड़े भाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म मां की धरती पर हुआ और आजीवन मां का आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा, यही परम सौभाग्य है हर हिंदाववासी का.मैं अपने समाज के प्रति भी गौरवान्वित महसूस करता हंू कि आज भी हमने अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों को नहीं त्यागा, बल्कि उन्हें और भी उत्साह के साथ बढ़ावा देकर आस्था और विश्वास को सुदृढ़ किया है.तेजी से बदलते वक्त ने सामाजिक सोच के दायरे को भी बदला है. अत्याधुनिकीकरण ने जो वैज्ञानिक तरीके हमें मुहैया कराए, उसने हमसे छीना है तो हमारी धार्मिक आस्था और विश्वास, परंतु मां जगदी की महिमा इतनी सशक्त है कि मां के प्रति हमारी आस्था आज भी वही है, बल्कि और भी सुदृढ़ हुई है. मैं हर क्षेत्रवासी से विनती करूंगा कि इस आस्था को अपनी धरोहर बनाए रखें और मां जगदी की कृपा से आपके कार्य मंगलमय होते रहेंगे.साथ ही में श्री ज्योति राठौर एवं श्री गोविंदलाल आर्य को बधाई देता हंू कि उन्होंने एक नेक सोच का परिचय दिया. मां जगदी की महिमा घर-घर में पहुंचाने का काम निश्चित रूप में सराहनीय है. इस वर्ष मां जगदम्बा का १२ वर्ष बाद आने वाला यज्ञ (होम) होने जा रहा है, जिसमें हजारों भक्तों की मनोकामनाएं मां पूरी करेंगी, यह मेरी कामना है. मां के चरणों में समर्पित यह पुस्तक मां की महिमा की जानकारी भक्तों को देगी जो निश्चित रूप से वर्ष २००९ के होम को ऐतिहासिक और यादगार बना देगी.मैं एक बार पुन: मां के चरणों में नमन करते हुए नौज्यूला की समस्त जनता को प्रणाम करता हंू.''जय जगतवंदनी मांÓÓ(स्तंभकार मुंबई में कई सामाजिक संस्थाओं का सक्रिय संचालन कर रहे हैं.)
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