Friday, June 18, 2010
नौज्यूला का परिचय
उत्तराखंड राज्य के जनपद टिहरी गढ़वाल के भिलंगना विकास खंड की हिंदाव पट्टी में नौज्यूला स्थिति है. नौज्यूला के अंतर्गत भौंणा, पंगरियाणा, वडियार, सरपोली, अंथवालगांव वर्तमान ग्राम सभाएं हैं. जबकि छोटे-छोटे खोलों या गांव के नाम से अन्य कई गांव हैं. जैसे पंगरियाणा में ही पलियालगांव, महरगांव, अध्वाणगांव, लैणी, संतवाणगांव, भेटियालगांव, मैधवाणगांव, रतगला, नखुंड, डारसिल आदि खोले हैं. उधर बडियार, पंगरिया, बगर, मालगांव सरपोली, चटोली, खणदू, कुराणगांव, अंथवालगांव, कुलणा-समनौ जैसे प्रमुख गांव हैं.आर्थिक स्थिति क्षेत्र में रोजगार के साधनों का अभाव है, परंतु क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है. क्षेत्र के अधिकांश लोग शहरों की ओर रुख करते हैं और दिल्ली-बम्बई जैसे महानगरों में विभिन्न पदों पर कार्य कर रहे हैं. हाल के कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में आर्थिक प्रवाह बढ़ा है, जिसका पूरा श्रेय यहां के उन नौजवान युवाओं को जाता है, जिन्होंने रोजगार के लिए देश की सीमाएं लांगी हैं और सात समंदर पार जाकर डॉलर, येन, दरिहाम्स, रूबल आदि मुद्राओं के बल पर इस क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए परिश्रम किया है. क्षेत्र के अधिकांश लोग विदेश के रेस्तरांओं में लजीज व्यंजन बनाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं. विदेशों में अपने कठिन परिश्रम के बल पर क्षेत्र की आर्थिकी को सबल करने में इस वर्ग का विशेष योगदान है. सरकारी सेवाएं नौज्यूला के लोगों का सरकारी सेवाओं के प्रति रुझान तत्कालीन व्यवस्थाओं के अनुरूप कम रहा है, परिणामस्वरूप क्षेत्र में सरकारी सेवा में अहोदेदार पदों पर तस्वीर धुंधली है. किंतु शिक्षा क्षेत्र में कई बुद्धिजीवियों ने इस कमी को पूरा किया है और उच्च पदों पर कार्यरत हैं. यहां के प्रमुख राजकीय इंटर कालेजों को ही लें तो राजकीय इंटर कालेज मथकुड़ी सैंण में श्री नारायणदत्त थपलियाल जी प्रधानाचार्य के पद पर सुशोभित हैं, तो दूसरे राजकीय इंटर कालेज कठूड़ में भी श्री करणसिंह रावत जी प्रधानाचार्य के पद पर विराजमान हैं. वहीं निकटवर्ती राजकीय इंटर कालेज अखोड़ी में भी श्री शिवशरण थपलियाल जी प्रधानाचार्य के पद की शोभा बढ़ा रहे हैं. साथ ही कई अन्य बुद्धिजीवी प्रवक्ता एवं अध्यापक-मुख्याध्यापक के रूप में क्षेत्र का नाम रौशन कर रहे हैं. यद्यपि अस्पताल, बैंक एवं अन्य सरकारी सेवाओं में भी नौज्यूला के लोग उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, लेकिन अभी यह सीमित है. उत्तराखंड की पत्रकारिता जगत में श्री विजयराम गोदियाल जी का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है. शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा का अनुपात सामान्य है. यहां अधिकांश युवावर्ग १०वीं एवं १२वीं तक पढ़ते हैं. तकनीकी शिक्षा का अभाव और उच्चशिक्षा के प्रति लोगों के रुझान की कमी है. एक अनुमान के मुताबिक १२वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले १०० छात्रों में से मात्र ५-६ छात्र ही उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर होते हैं. जबकि राज्य स्तर पर होने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में यहां के छात्र-छात्राओं के शामिल होने का अनुपात और भी चिंताजनक है. विदेशगमन के प्रति यहां के छात्रों की रुचि ज्यादा है और मंजिल पाने की चाह में ऐसे युवा विभिन्न महानगरों में परिश्रम कर रहे हैं. नौज्यूला में स्कूल-कालेजों की कमी नहीं है, लेकिन शिक्षा का स्तर राज्य के अन्य पिछड़े क्षेत्रों जैसा ही है. हां संतोष करने की यह बात जरूर है कि हिंदाव के बाहर देहरादून या फिर शहर एवं महानगरों में रहने वाले कई नौज्यूला के प्रवासियों की युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर रही है. उधर, नौज्यूला में ही बच्चों को बेहतर बुनियादी शिक्षा देने के मिशन पर कुछ लोग कार्य कर रहे हैं. मथकुड़ी सैण में न्यू मॉडर्न स्कूल के संचालक श्री प्रीतम सिंह रावत एवं श्री मोनसिंह नेगी के अनुसार उनका प्रयास बच्चों की पढ़ाई की खातिर शहरों की ओर पलायन कर रहे परिवारों को गांव में ही शहरों जैसी बुनियादी शिक्षा मुहैया कराना है. श्री रावत और नेगी के अनुसार उनके प्रयास से अब तक केवल बच्चों की शिक्षा के लिए पलायन करने वाले दर्जनों परिवार इरादा बदल चुके हैं.प्रमुख संस्थानों में उपस्थिति नौज्यूला के प्रवासियों ने गांव के खेत खलियान छोड़ महानगरों में संघर्ष कर अपनी जीवटता का परिचय दिया है. चाहे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया हो या फिर उद्योग जगत से जुड़े अन्य ख्यातिलब्ध संस्थान, यहां के लोग विभिन्न उच्च पदों पर आसीन हैं. बेंगलूर, दिल्ली, मुंबई सहित अन्य शहरों में भी नौज्यूला के लोग प्रबंधन के क्षेत्र में उच्च पदों पर काबिज हो रहे हैं. श्री शंकरसिंह रावत जी जैसे व्यक्तित्व निजी संस्थान में वाइस प्रेसीडेंट के पद पर कार्यरत हैं, जो नौज्यूलावासियों को गौरवान्वित करता है.उद्योग जगत उद्योग जगत में सफल उद्योगपतियों की कमी है, किंतु कई प्रवासी इस कमी को पूरा कर रहे हैं. मुंबई में प्रमुख उद्योगपति शंकर सिंह कुंवर, भीम सिंह कैंतुरा जैसे नौज्यूला के गौरव हैं, जिन्होंने अपनी लगन एवं मेहनत के बल पर एक खास मुकाम तय किया है. उधर जयसिंह कुंवर, शिवसिंह कुंवर ने भी इस क्षेत्र में खास मुकाम हासिल किया है. फिल्म एवं कला जगत में नौज्यूला की उपस्थितिफिल्म एवं कला जगत में नौज्यूला के लोगों ने दस्तक दी है, यद्दपि यह दस्तक सीमित है किंतु आने वाले समय में इस क्षेत्र में दरवाजे खुलेंगे उम्मीद की जानी चाहिए. प्रसिद्ध गढ़वाली फिल्म 'घरजवैंÓ में खलनायक के तौर पर सिल्वर सक्रीन पर चतरू के किरदार में भीमसिंह रावत (लैणी) ने अभिनय जगत में उपस्थिति दर्ज कराई, वहीं वर्तमान में बंगाली फिल्मों से अभिनय की शुरुआत करने वाले प्रमुख गढ़वाली अभिनेता ज्योति राठौर गढ़वाली फिल्मों के प्रमुख हस्ताक्षर के रूप में स्थापित हैं. राठौर पिछले लंबे समय से बड़े पर्दे के माध्यम से लोगों के बीच हैं. निर्माता माधवभट्टï की अब तक की सबसे बड़े बजट की गढ़वाली फिल्म ''सिपैंजीÓÓ में ज्योति राठौर प्रमुख अभिनेता हैं, जो बहुत जल्दी धूम मचाने आम लोगों के सामने आने वाली है. यही नहीं ज्योति राठौर ने अभिनय के साथ ही फिल्मी कैमरों को नौज्यूला की तरफ भी मोड़ा है और इस फिल्म की शूटिंग नौज्यूला के कई खूबसूरत लोकेशनों पर की गई है.ज्योति राठौर ''मेरी गंगा होली त मैमु आलीÓÓ में बतौर निर्देशक काम कर चुके हैं, जिसमें कुराणगांव के मूल निवासी श्री शंकर सिंह कुंवर जी एवं श्री जयसिंह कुंवर ने गढ़वाली फिल्म निर्माण के क्षेत्र में हाथ आजमाए थे. ''मेरी गंगा होली त मैमु आलीÓÓ के निर्माता श्री कुंवर द्वय का गढ़वाली फिल्मों के निर्माता के रूप में फिल्मोद्योग में उपस्थिति दर्ज कराने से नौज्यूला का मान बढ़ा है. फिल्म एवं कला जगत में चंदर सिंह कैंतुरा 'शैलÓ भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे हैं, हाल ही राकेशचंद्र भट्टï की गढ़वाली फिल्म 'ब्योÓ में बतौर कार्यकारी निर्माता के तौर पर चंदर सिंह कैंतुरा की सक्रिय भागीदारी रही है.आने वाले समय में अभिनेता ज्योति राठौर और पत्रकार गोविंदलाल आर्य माधोसिंह भंडारी जैसे लोकप्रिय नृत्य नाटक का सम्पूर्ण गढ़वाल क्षेत्र में मंचन करने वाले हैं, जिस पर युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है. माधोसिंह भंडारी का मंचन आधुनिक तकनीकी के संयोजन में उसके मूल स्वरूप में प्रस्तुत किए जाने की योजना पर कार्य चल रहा है. पुरानी संस्कृति को यथास्वरूप में प्रस्तुत करने के इरादे से यह टीम काम कर रही है, जिसमें पारंपरिक-सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने का प्रमुख उद्देश्य है.सरकारी योजनाओं की स्थिति क्षेत्र में भौंणा, पंगरियाणा, बडियार, सरपोली, अंथवालगांव जैसी बड़ी जनसंख्या वाली ग्रामसभाएं हैं. सरकारी योजनाओं की बात की जाए तो यहां का विकास सरकारी मुलाजिमों के निर्णयों पर टिका है. ग्रामसभाओं की ही बात करें तो ब्लॉक स्तर पर कुछ भ्रष्ट कर्मियों की सांठ-गांठ से यहां का विकास प्रधान के सचिव स्तरीय कर्मी पंचायत मंत्री के रहमोकरम पर टिका है. विकास योजनाओं के प्रस्ताव मिटिंगों में बनते हैं और सरकारी अलमारियों में दम तोड़ देते हैं. नौज्यूला के संपर्क मार्गों को ही उदाहरण के तौर पर लें तो विकास की किरण इस क्षेत्र से कोसों दूर प्रतीत होती है. पीठ पर ५० किलो के बोझ लेकर अपनी मंजिल तय करती किसी महिला को मोबाइल पर दूर-देश में अपने परिजनों से बातें करता देख जहां संचार क्रांति का अहसास होता है, वहीं रात के घनघोर अंधेरे को चीरते लो बोल्टेज परजलते बिजली के बॉल्ब राज्य सरकार के इरादों को दर्शाते हैं. किंतु ब्लॉक स्तरीय कार्यों में दलालों की ऐसी फौज खड़ी है, जो सरकारी धन पर आंखें गाढ़े खड़ी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि नवनिर्वाचित समस्त प्रतिनिधि क्षेत्र के विकास को नया आयाम देंगे. साथ ही जनता में भी विकास कार्यों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और सूचना अधिकार का अधिकाधिक प्रयोग कर विकासकार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी.स्वास्थ्य सुविधाएंनौज्यूला में स्वास्थ्य सुविधाओं का नितांत अभाव है. यहां एकमात्र राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय पंगरियाणा है, जहां अपने लम्बे अनुभव, कुशल सेवाभाव के चलते श्री चिंतामणि अंथवाल जी नौज्यूलावासियों को अपनी चिकित्सकीय सेवाएं दे रहे हैं. चिकित्सालय में डॉक्टर की तैनाती है, किंतु इतने बड़े क्षेत्र में यह नाकाफी है. लचर स्वास्थ्य सेवाओं के चलते किसी भी आपातकालीन स्थिति में घनसाली से पहले कोई व्यवस्था नहीं है. यद्यपि कुछ निजी चिकित्सक भी ग्रामीणों की सेवा में संलग्र हैं.
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