Friday, June 18, 2010
जब 2008 के चुनाव में अखबारों की सुर्खियों में रहा हिंदाव क्षेत्र
ज्यूला के लोगों की अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा राजनीतिक भागीदारी शिथिल रही है. आवश्यक ग्रामसभा प्रधान के अलावा राजनीतिक पटल पर कोई उल्लेखनीय तस्वीर नहीं उकेरी जा सकी है. पंचायती राज व्यवस्था में सत्ता के विकेंद्रीकरण से राजनीति के अवसर बढ़े हैं और राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ी है. उत्तर प्रदेश के दौर में पत्रकार विजयराम गोदियाल ने विधानसभा चुनाव में हुंकार भरी, तो जब 2008 के चुनाव में अखबारों की सुर्खियों में रहा हिंदाव क्षेत्रराज्य निर्माण के बाद श्री सोनसिंह कुंवर ने विधानसभा चुनाव में कूद कर नौज्यूल्या को राजनीतिक पटल पर लाने की कोशिश की. सोनसिंह कुंवर भले सफलता से दूर रहे, लेकिन उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में नौज्यूला से पहला विधानसभा उम्मीदवार बनने का श्रेय तो श्री कुंवर जी को मिलेगा ही. नौज्यूला से श्री कुंवर सिंह कुंवर भी जिला पंचायत में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उधर २००३ में जिला पंचायत की संयुक्त अखोड़ी सीट पर नौज्यूला के श्री शिवचरण नेता जी ने भारी मतों से विजय प्राप्त की. श्री शिवचरण जी को मिले मतों ने तत्कालीन उत्तराखंड जिला पंचायत चुनाव में विशेष रिकॉर्ड बनाया. हाल ही २००८ में संपन्न त्रिस्तरीय चुनाव में नौज्यूला निवासी उम्मीदवार श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य के चुनाव मैदान में उतरने से यह क्षेत्र अखबारों में सुर्खियों में छा गया. यद्दपि इस सीट पर तीन अन्य महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं. किंतु पंगरियाणा निवासी श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य ने जिला पंचायत चुनाव में हिंदाव पट्टïी के राजनीतिक पटल पर जोरदार उपस्थिति दर्ज कराई है. जिला पंचायत चुनाव में हिंदाव सीट पर श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य की दस्तक राज्यभर में चर्चित रही. इतना ही नहीं कई प्रमुख पार्टियों ने श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य के नाम को पार्टी पैनल में नहीं भेजे जाने को लेकर स्थानीय पार्टी नेताओं को जमकर फटकार लगाई, तो कई पार्टियों ने श्रीमती आर्य की संभावित जीत को देखते हुए अपने पार्टी प्रतिनिधियों के माध्यम से श्रीमती आर्य से पार्टी में शामिल होने आमंत्रित किया. जिला पंचायत चुनाव में हिंदाव सीट पर श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य को मिला जनसमर्थन राज्यभर में चर्चा का विषय रहा. अपने प्रभावी जनसंपर्क के कारण श्रीमती आर्य ने कथित भारतीय जनता समर्थित प्रत्याशी को जहां कड़ी टक्कर दी, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के मंसूबों पर पानी फेर लिया. जिला पंचायत की सीट यद्धपि नौज्यूल्या की झोली में नहीं आई, किंतु अल्प समय में ही बुद्धिजीवियों के सहयोग, श्रीमती गोदाम्बरी देवी आर्य के करिश्माई व्यक्तित्व एवं चुनाव रणनीतिकारों के परिश्रम के बल पर ''उत्तराखंड की राजनीति में नौज्यूला की उपस्थितिÓÓ का गहरा अहसास कराया.श्रीमती गोदाम्बरी देवी के राजनीतिक आगाज के साथ ही आने वाले समय में उत्तराखंड की राजनीति में ''नौज्यूला की राजनीतिक शून्यताÓÓ को पाटने एक नए अध्याय की शुरुआत हुई है. नए परिसीमन के तहत घनसाली विधानसभा क्षेत्र के बदले राजनीतिक समीकरणों के चलते अब इस बात को जाहिर करने में कोई हर्ज नहीं है कि ''नौज्यूलाÓÓ भी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रबल दावेदार है.ठ्ठठ्ठठ्ठ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
फिर उत्तराखंड की उपेक्षा
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में भी उत्तराखंड को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. जिससे पहाड़ की जनता निराश है. केंद्र सरकार में उत...

-
उत्तराखंड युग-युगांतर से भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थली, तपस्थली और शांति प्रदाता रही है। हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाएं, कल कल करती नदिया...
-
बुजुर्ग जनों से जब जगदी के विषय में हमने बातें शुरू कीं तो जगदी से जुड़े विभिन्न प्रसंग सामने आए. बताते हैं कि एक समय किन्हीं अपरिहार्य कारण...
-
उत्तराखंड राज्य निर्माण के १४ वर्ष पूरे हो गए हैं. सबसे पहले उत्तराखंड के शहीदों को शत-शत नमन. जब हम बात उत्तराखंड की करें तो अलग ...
No comments:
Post a Comment