Friday, June 18, 2010
मोती वंश के हैं कमेटी के ढोल वादक
जगदी जात के संचालन या जगदी से जुड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए नौज्यूला के पंचों की कमेटी में ढोल-दमाऊं वादक बतौर सदस्य शामिल हैं. अन्य सदस्यों की तरह ही जगदी के ढोल-दमाऊं वादक सदस्य शुरू से आखिरी तक जगदी की अगवानी करते हैं. लोगों के घरों में भ्रमण आदि के दौरान जगदी के बाकी, अन्य देवी-देवताओं के बाकियों के साथ-साथ इन वादकों को भी भरपूर सम्मान मिलता है. बताते हैं कि जगदी की जात के शुरुआत में नौज्यूला के प्रत्येक थोक से ढोल वादक जगदी जात में शिरकत करते थे, लेकिन किन्ही अपरिहार्य कारणों से निपटने पंचों ने ढोल एवं दमाऊं वादकों को कमेटी के सदस्य के तौर पर दो लोगों को शामिल करने का निर्णय लिया. यह नौज्यूला के पंचों की दूरदृष्टि का ही परिणाम है कि समय के साथ बदले सामाजिक-आर्थिक परिवेश के चलते आज इनकी अति आवश्यकता महसूस की जा रही है. जगदी की जात या अन्य जगदी के कार्यक्रमों में घटती ढोलसंख्या के लिहाज से कमेटी के उक्त सदस्यों पर और भी जिम्मेदारी बढ़ी है. कमेटी के ढोल-दमाऊं वादक सदस्य के तौर पर पंगरिया के मोती वंश के स्व. गुलजारीलाल जी एवं अंथवालगांव के बिंद्रू जी के आगे की पीढिय़ां उल्लेखनीय रही हैं और वर्तमान में उनके सुपुत्र श्री जियालाल एवं मनोहरीलाल अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
फिर उत्तराखंड की उपेक्षा
केन्द्रीय मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में भी उत्तराखंड को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. जिससे पहाड़ की जनता निराश है. केंद्र सरकार में उत...

-
उत्तराखंड युग-युगांतर से भारतीयों के लिए आध्यात्मिक शरणस्थली, तपस्थली और शांति प्रदाता रही है। हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाएं, कल कल करती नदिया...
-
बुजुर्ग जनों से जब जगदी के विषय में हमने बातें शुरू कीं तो जगदी से जुड़े विभिन्न प्रसंग सामने आए. बताते हैं कि एक समय किन्हीं अपरिहार्य कारण...
-
उत्तराखंड राज्य निर्माण के १४ वर्ष पूरे हो गए हैं. सबसे पहले उत्तराखंड के शहीदों को शत-शत नमन. जब हम बात उत्तराखंड की करें तो अलग ...
No comments:
Post a Comment